18वीं वन स्थिति रिपोर्ट 2023


जारी किसने की : पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय मंत्री भूपेंद्र यादव ने 


 रिपोर्ट में शामिल विषय : वन आवरण, वृक्ष आवरण, कच्छ वनस्पति आवरण, भारत के वनों में कार्बन स्टॉक क्षमता, वनाग्नि, कृषि वानिकी इत्यादि विषय शामिल हैं।


प्रमुख आंकड़े:

     

           नाम                                          क्षेत्र वर्ग किलोमीटर में          भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का प्रतिशत 

भारत में कुल वनावरण एवं वृक्ष आवरण         827357 वर्ग किमी                          25.17%

भारत में कुल वन आवरण क्षेत्र                     715343 वर्ग किमी                          21.76%

भारत में वृक्ष आवरण क्षेत्र                          112014 वर्ग किमी                           3.41%



  • वृक्ष आवरण एवं वन आवरण में कुल वृद्धि 1445 वर्ग किलोमीटर की हुई है।
  • वन एवं वृक्ष आवरण में वृद्धि दर्शाने वाले शीर्ष चार राज्य छत्तीसगढ़ (684 वर्ग किमी), उत्तर प्रदेश (559 वर्ग किमी), उड़ीसा (559 वर्ग किमी) और राजस्थान (394 वर्ग किमी) हैं ।
  • क्षेत्रफल की दृष्टि से वन एवं वृक्ष आवरण वाले शीर्ष तीन राज्य मध्य प्रदेश ( 85724 वर्ग किमी), अरुणाचल प्रदेश ( 67083 वर्ग किमी) और महाराष्ट्र (65383 वर्ग किमी) हैं ।
  • कुल भौगोलिक क्षेत्र के प्रतिशत की दृष्टि से वनावरण वाले शीर्ष तीन राज्य लक्षद्वीप (91.33%), मिजोरम (85.34%) और अंडमान निकोबार दीप समूह (81.62%) हैं ।
  • भारत में कुल कच्छ वनस्पति आवरण 4992 वर्ग किलोमीटर है।
  • देश में बांस आधारित कुल क्षेत्र 154670 वर्ग किलोमीटर अनुमानित किया गया है जो 2021 के आकलन अनुमानों की तुलना में 5227 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि दर्शाता है।
  • वाह्य वन वृक्षों से औद्योगिक काष्ठ का वार्षिक संभावित उत्पादन 91.51 मिलियन घन मीटर अनुमानित किया गया है।
  • वर्तमान आकलन के अनुसार भारत के वनों में कुल कार्बन स्टॉक 7285.5 मिलियन टन अनुमानित किया गया है। पिछले आकलन की तुलना में देश के कार्बन स्टॉक में 81.5 मिलियन टन की वृद्धि हुई है।
  • एनडीसी लक्ष्य प्राप्ति के संबंध में, वर्तमान आकलन से ज्ञात होता है कि भारत का कार्बन स्टॉक 30.43 बिलियन टन CO2 के समतुल्य तक पहुंच गया है, जो दर्शाता है कि 2005 के आधार वर्ष की तुलना में, भारत पहले ही 2.29 बिलियन टन अतिरिक्त कार्बन सिंक तक पहुंच चुका है जबकि 2030 तक 2.5 से 3.0 टन का लक्ष्य रखा गया था।