चर्चा में क्यों
हिडनबर्ग शॉर्ट सेलिंग कंपनी ने भारत को लेकर फिर से ट्विटर पर ट्वीट किया है कि
“Something big soon India”
अडानी ग्रुप कंपनी के ऊपर रिपोर्ट जारी करने के 1 साल के बाद हिडेनबर्ग (Hindenburg) दूसरी रिपोर्ट लाने की तैयारी में है यह रिपोर्ट किसके बारे में होगी इसकी जानकारी अभी तक सार्वजनिक नहीं की है। हिडेनबर्ग अब भारत में किस को टारगेट करेगी यह तो आने वाले कुछ समय में पता चल जाएगा। इस आर्टिकल में आपको बताएंगे कि हिडेनबर्ग आखिर है क्या यह क्या काम करती है, शार्ट सेलिंग क्या है अगर आप जानना चाहते हैं तो यह आर्टिकल पूरा पढ़ें।
हिडेनबर्ग के बारे में
हिडेनबर्ग (Hindenburg) एक शॉर्ट सेलिंग कंपनी है जिसके संस्थापक Nate Anderson हैं। हिडेनबर्ग (Hindenburg) अपनी टीम बनाकर उस कंपनी को टारगेट करते हैं जिस पर इन्हें लगता कि यह कंपनी कानूनी और नैतिक नियमों का पालन नहीं करती है। उस कंपनी के बारे में हिडेनबर्ग टीम रीसर्च कर एक रिपोर्ट तैयार करती है। हिडेनबर्ग टीम यह रिपोर्ट तुरंत जारी नहीं करती है।हिडेनबर्ग टीम कंपनी के शेयर धारको से मिलती है और उन्हें इस रिपोर्ट के बारे में बताती है। फिर यहीं से शुरू होता है उस कंपनी के शेयरों की शॉर्ट सेलिंग का खेल। हिडेनबर्ग कंपनी शॉर्ट सेलिंग से अच्छी खासी कमाई करती है। उसके बाद रिपोर्ट को जारी किया जाता है जिससे बाजार में टारगेटेड कंपनी की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और उसके शेयर की वैल्यू गिर जाती है।शॉर्ट सेलिंग (Short selling) कंपनियां ऐसे ही कमाई करती हैं।
शॉर्ट सेलिंग क्या है (what is Short selling)?
दरअसल Hindenburg जैसी शॉर्ट सेलिंग फर्म टारगेटेड कंपनी पर रीसर्च कर जो रिर्पोट तैयार करते हैं उसे जारी करने उस कंपनी की छवि बाजार में खराब हो जाती है जिससे उसके शेयर वैल्यू गिर जाती है। इस कपनी के शेयर की शॉर्ट सेलिंग करके Hindenburg करोड़ों रुपए कमाती है। शर्ट सेलिंग कैसे होती है इसे आप नीचे दिए गए बिंदुओं से समझ सकते हैं–
डाईग्राम – 1
[Hindenburg का लाभ = डाईग्राम1 - डाईग्राम2 = 200 Rs.]
- Hindenburg उस कंपनी को टार्गेट करती है जिसके बारे इसे लगता है कि वो कम्पनी कनूनी और नैतिक नियमों का पालन नहीं कर रही है।
- Hindenburg इस targeted कंपनी के बारे में रीसर्च कर एक रिपोर्ट तैयार करती है। इस रिर्पोट को तुरंत जारी नहीं किया जाता है।
- रिर्पोट जारी करने से पहले Hindenburg टीम टारगेटेड कंपनी के शेयर धारकों से मिलती है और उनसे कम्पनी के शेयर उधार लेती है, यह कहकर कि आपको आपके शेयर वापस किया जायेगा फिर चाहें भाविष्य में इसकी क़ीमत बड़े या घटे ।
- फिर Hindenburg उधार लिए गए शेयर को बेंच कर करोडों अरबों डॉलर/रूपए इकट्ठा कर लेती है।
- फिर Hindenburg ने जो रिर्पोट तैयार की थी उसे जारी कर देती है जिससे टारगेटेड कंपनी के शेयरों की वैल्यू गिरने लगती है। हाल ही में जैसे गौतम अडानी ग्रूप की कंपनी के शेयर की वैल्यू गिरि थी उन्हे इसका काफी नुक्सान हुआ था।
- जैसे ही टारगेटेड कंपनी के शेयर की वैल्यू बाजार में गिरती है Hindenburg उस कंपनी के शेयरों को सस्ते दामों में खरीद लेती है।
- और अंत मे Hindenburg उन शेयर धारकों को यह शेयर वापस कर देती है जिनसे उधार लिए थे।
- इस तरह यह शर्ट सीलिंग कंपनी लाभ कमाती है।
नोट: यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि अगर रिपोर्ट जारी करने के बाद उसे कंपनी के शेर की वैल्यू बढ़ने लगती है तो हैंडल वर्क जैसी शॉर्ट सेलिंग कंपनियों को काफी नुकसान उठाना भी पड़ता है। इसलिए उनका उद्देश्य यह रहता है कि टार्गेटेड कम्पनी के शेयर की वैल्यू नीचे गिरे जिससे इनका लाभ हो।
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